Saturday, 9 June 2012

सहलाती बारिशें!!

बारिश ख़तम हो गई

पर अभी तक पत्तों से बूँदें टपक रही हैं !!

सडकों पर दूर से बहता  हुआ कचरा ऐसे लग रहा है

जैसे आंसुओ के सैलाब में पुराने दबे हुए दर्द बहार निकल आते हैं और देर तक रुलाते हैं!!

ख़ामोशी में गूंजते टप टप बारिश के पानी की तरह .

हवा में हलकी हलकी ठण्ड..यूँ तो सहला रही थी!!

बारिशें अक्सर मुझे उदास कर जाया करती हैं 

बारिशे ख़तम हो गई,और अब मुझे इंतज़ार है..वापस उन्ही थपेड़ों  का!!

No comments:

Post a Comment